शिक्षक बनाने को नई जुगत


लखनऊ [जाब्यू]। वर्ष 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की राह तलाशने में जुटी राज्य सरकार विधिक परामर्श प्राप्त होने के बाद मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दिला सकती है। 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वाले अभ्यर्थियों को उर्दू शिक्षक नियुक्त करने के लिए सरकार उन्हें अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट दिलाने की राह तलाश रही है। वर्तमान में उर्दू शिक्षकों के 2911 पद रिक्त हैं। इस संबंध में सरकार ने हाल ही में विधिक परामर्श हासिल किया था। विधिक परामर्श में कहा गया कि 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से डिप्लोमा इन टीचिंग करने वाले अभ्यर्थियों को उर्दू शिक्षक नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार पहले विज्ञापन प्रकाशित करे। विज्ञापन प्रकाशित करने पर यदि टीईटी उत्ताीर्ण मुआल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों के आवेदन समुचित संख्या में प्राप्त हो जाते हैं तो सरकार उन्हें शिक्षक नियुक्त कर दे। यदि समुचित संख्या में टीईटी उत्ताीर्ण मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधि धारक नहीं मिलते हैं तो नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(2) के तहत सरकार केंद्र से इन अभ्यर्थियों को टीईटी से छूट दिये जाने की मांग कर सकती है। विधिक परामर्श प्राप्त होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने इस आशय के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति हासिल करने के लिए कैबिनेट को प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव में कैबिनेट से यह भी अनुरोध किया गया है कि उपयुक्त व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन किये बिना वह मुख्यमंत्री को अपने स्तर से निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दे।

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