UPTET-रुक गई शिक्षक भर्ती


हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सोमवार को ही शुरू हुई थी काउंसलिंग
•अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की उस विशेष अपील को स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है, जिसमें टीईटी को अर्हता मानने को चुनौती दी गई है। कोर्ट का आदेश आने के बाद प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के मौखिक निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज दिया। इसके बाद सोमवार को ही शुरू हुई काउंसलिंग 11 फरवरी तक स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने मामले पर प्रदेश सरकार से 11 फरवरी तक जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य अभ्यर्थियों की विशेष अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। अपीलार्थियों की दलील थी, चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और इसी के तहत एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है। इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पहले की विज्ञापन रद्द कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्तांकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे वह भी अब अर्ह हो गए हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी के प्राप्तांक पर करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे। खंडपीठ ने चार फरवरी से शुरू काउंसलिंग पर रोक लगाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों को तत्काल प्रभाव से काउंसलिंग प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश भेज दिया है। इस संबंध में सभी जिलों में विज्ञापन प्रकाशित कराने को भी कहा गया है, ताकि आवेदकों को इसकी जानकारी मिल सके।

UPTET-रुक गई शिक्षक भर्ती


हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सोमवार को ही शुरू हुई थी काउंसलिंग
•अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की उस विशेष अपील को स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है, जिसमें टीईटी को अर्हता मानने को चुनौती दी गई है। कोर्ट का आदेश आने के बाद प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के मौखिक निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज दिया। इसके बाद सोमवार को ही शुरू हुई काउंसलिंग 11 फरवरी तक स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने मामले पर प्रदेश सरकार से 11 फरवरी तक जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य अभ्यर्थियों की विशेष अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। अपीलार्थियों की दलील थी, चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और इसी के तहत एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है। इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पहले की विज्ञापन रद्द कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्तांकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे वह भी अब अर्ह हो गए हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी के प्राप्तांक पर करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे। खंडपीठ ने चार फरवरी से शुरू काउंसलिंग पर रोक लगाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों को तत्काल प्रभाव से काउंसलिंग प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश भेज दिया है। इस संबंध में सभी जिलों में विज्ञापन प्रकाशित कराने को भी कहा गया है, ताकि आवेदकों को इसकी जानकारी मिल सके।

UPTET-रुक गई शिक्षक भर्ती


हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सोमवार को ही शुरू हुई थी काउंसलिंग
•अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की उस विशेष अपील को स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है, जिसमें टीईटी को अर्हता मानने को चुनौती दी गई है। कोर्ट का आदेश आने के बाद प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के मौखिक निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज दिया। इसके बाद सोमवार को ही शुरू हुई काउंसलिंग 11 फरवरी तक स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने मामले पर प्रदेश सरकार से 11 फरवरी तक जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य अभ्यर्थियों की विशेष अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। अपीलार्थियों की दलील थी, चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और इसी के तहत एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है। इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पहले की विज्ञापन रद्द कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्तांकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे वह भी अब अर्ह हो गए हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी के प्राप्तांक पर करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे। खंडपीठ ने चार फरवरी से शुरू काउंसलिंग पर रोक लगाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों को तत्काल प्रभाव से काउंसलिंग प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश भेज दिया है। इस संबंध में सभी जिलों में विज्ञापन प्रकाशित कराने को भी कहा गया है, ताकि आवेदकों को इसकी जानकारी मिल सके।

UPTET-रुक गई शिक्षक भर्ती


हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सोमवार को ही शुरू हुई थी काउंसलिंग
•अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कई अभ्यर्थियों की उस विशेष अपील को स्वीकार करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है, जिसमें टीईटी को अर्हता मानने को चुनौती दी गई है। कोर्ट का आदेश आने के बाद प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार के मौखिक निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज दिया। इसके बाद सोमवार को ही शुरू हुई काउंसलिंग 11 फरवरी तक स्थगित कर दी गई। कोर्ट ने मामले पर प्रदेश सरकार से 11 फरवरी तक जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने नवीन कुमार श्रीवास्तव और अन्य अभ्यर्थियों की विशेष अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। अपीलार्थियों की दलील थी, चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक केंद्रीय अधिनियम है और इसी के तहत एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर सहायक अध्यापकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसलिए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 पर यह बाध्यकारी है। इस अधिसूचना के विपरीत शिक्षक नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा पहले की विज्ञापन रद्द कर देने से पूरी चयन प्रक्रिया बदल गई है। टीईटी के प्राप्तांकों को अब मानक के बजाय मात्र अर्हता माना जा रहा है। इस नई परिस्थिति में जो लोग 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन में आवेदन की अर्हता नहीं रखते थे वह भी अब अर्ह हो गए हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि क्या एकल न्यायपीठ ने टीईटी परीक्षा में हुई धांधली और इसमें लिप्त लोगों को अलग करके शेष लोगों का चयन टीईटी के प्राप्तांक पर करने के लिए कहा था। खंडपीठ का मत था कि पिछली सरकार के जाने के बाद नई सरकार ने पूरी चयन प्रक्रिया बदल दी। अब ऐसा भी संभव है कि कोई दूसरी सरकार बने और वह इस सरकार की चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए बदल दे। खंडपीठ ने चार फरवरी से शुरू काउंसलिंग पर रोक लगाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों को तत्काल प्रभाव से काउंसलिंग प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश भेज दिया है। इस संबंध में सभी जिलों में विज्ञापन प्रकाशित कराने को भी कहा गया है, ताकि आवेदकों को इसकी जानकारी मिल सके।

UPTET - टीईटी अभ्यर्थी और भर्ती




फर्जी आवेदनों के कारण प्रथम काउंसलिंग वाले अभ्यरथियो को कई समस्यों से जूझना पड़ रहा है
कई अभ्यर्थीयो को ग्रह जनपद छोड़कर बाहर के जिलों में नंबर आने पर , अपनी सीट सुरक्षित करने के लिए ग्रह जनपद छोड़ कर अन्य जिलों का भी चुनाव करना पड़ सकता है
अगर सभी तरह के फर्जी आवेदनों को बाहर रखा जाए और उसके बाद काउंसलिंग की कट-ऑफ़ जारी की जाती तो इससे प्रथम काउंसलिंग में ऊँचा स्थान रखने वालों को राहत मिल सकती थी ।

टी ई टी अभ्यर्थीयों में भी कई मत हैं -
1. एक धड़ा बी . एड 2012 वालों को नियुक्ति से बाहर देखने के मत में है , क्योंकि उनके अनुसार- वे नियुक्ति के पात्र नहीं है
वे टी ई टी परीक्षा के भी पात्र नहीं थे । टी ई टी एपीरिंग के बारे में उनके अपने मत हैं
2. जबकि बी . एड 2011 वालों का कहना है कि उन्होंने आवेदन सरकार द्वारा जारी किये गए विज्ञापन के अनुरूप किया है
और पिछला विज्ञापन रद्द किया जा चुका है
3. कई लोगो का मानना है कि भर्ती टी ई टी मेरिट से होनी चाहिए और इसके लिये वह सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं ।
आखिर उनका क्या दोष , उन्होंने तो परीक्षा मेहनत से पास की थी ।

4. कई लोगो का मानना है कि भर्ती सरकार का कार्य है और हाई कोर्ट इस पर मुहर लगा चुका है
ये भर्ती प्रक्रिया काफी लम्बे समय से चल रही है और काफी तरह के उतार चडाव सामने आते रहे , यू पी टी ई टी परीक्षा
के बाद जारी विज्ञापन में बदलाव और आये दिन कोर्ट में नए नए मामले आते रहना , अभ्यर्थीयों के मन में शंकाएं उत्पन्न करता रहता है

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